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रविवार, 23 जून 2013

क्षणिकाएँ

तुम मेरी शख्सियत को यूँ पहचान लो
की मुझे शायरी का अदब जान लो
मैं हवा में परों से जो उडती दिखूं
तो मेरी आरज़ू की फ़तह मान लो.
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वो जो सबकी शकल को दिखाया करे
इस हुनर से बड़ाई वो पाया करे
आइना न्याय करने के काबिल नहीं
पीठ की कालिखें जो छुपाया करे.
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सबने मेले को खुशियाँ रवानी लिखा
ये खबर भी बड़ी थी इसे ना लिखा
जब खिलौने पे बच्चे का दिल आ गया
बाप की आँख में मुझको पानी दिखा.
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आँख भी बंद है साँस भी रुक गयी
जिंदगी की वो सीधी छड़ी झुक गयी
आज बाबा की पगड़ी की सारी चमक
आपनी औलाद के हाथ से धुल गयी.

शुक्रवार, 7 जून 2013

आदरणीय गुरुजनों के लिए...

College farewell के बाद teachers के लिए व्यक्त कुछ भाव ~~~

अभिव्यक्त करूँ श्रद्धा अपनी बस यही कामना थी मेरी
स्वर मेरे थे मौन परन्तु मुखर भावना थी मेरी .

इन स्नेह-सुपोषित भावों को मैं भूल कभी ना पाऊँगी
आशीष आपका साथ रहे मैं दूर गगन तक जाऊँगी .

यदि भूल हुई कोई मुझसे तो क्षमा कीजियेगा गुरुवर
यदि कोई अनुचित कार्य हुआ तो भुला दीजियेगा गुरुवर .

यदि शीष झुका कर नमन करूँ तब भी तो ऋणी रहूँगी मैं
पर मिल जाए आशीष मुझे जीवन भर धनी रहूँगी मैं .

मैं कृतज्ञ उन भावों की जिन भावों से मैं सिक्त हुई
आज  विदा हो कर जाना क्या खोया है क्यों रिक्त हुई .

गुरु का आशीष अतुल पाकर सम्पन्न हुआ मेरा जीवन
जो कुछ मैं मूल्य चूका पाऊँ तो धन्य हुआ मेरा जीवन .