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बुधवार, 23 जून 2010

नीलम, भावना और मनीषा के लिए ...

ये पंक्तियाँ मैंने १७ फरवरी २००९ को लिखी थीं । इस दिन मैंने स्कूल को अलविदा कहा था । ये चंद शेर हैं तुम तीनों के लिए...

न ये दिन रहेगा , न ये रात होगी
अगर हम रहे तो मुलाकात होगी।
न छोड़ेंगे हम भी उम्मीदों का दामन
ये आवाज़ होगी तो फिर बात होगी।
जो ज्यादा तापायेंगे यादों के शोले
तो समझो कि जल्दी ही बरसात होगी।
कभी दर्द मे भी हमें याद करके
जो तुम हंस पड़ोगे तो क्या बात होगी।
तुम अपने ग़मों को हमें सौंप देना
हमारे लिए ये ही सौगात होगी।

8 टिप्‍पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

जो ज्यादा तपायेंगे यादों के शोले
तो समझो कि जल्दी ही बरसात होगी।

कभी दर्द मे भी हमें याद करके
जो तुम हंस पड़ोगे तो क्या बात होगी।

बहुत ख़ूब ! बेहतरीन शेर हैं ....

mai... ratnakar ने कहा…

anshuja ji, mera school ka time kaafee pehle samapt ho chuka hai, aaj bhee us daur ke dost yaad aate hain to man tadap uthata hai, aise men aapkee panktiyan padheen to aankh bhar aaee. main Eeshwar se kamna karta hoon ki aap, neelam, bhavna aur manisha kee dostee hamesha-hamesha kayam rahe. God bless u all.

shikha varshney ने कहा…

अन्शुजा स्कूल छोड़ने पर जो भावनाएं मन में आतीं हैं उनका बहुत सहज वर्णन किया है तुमने ..हालाँकि मुझे तो स्कूल छोड़े कई साल हो गए पर वो भावनाएं अभी तक जैसे जिन्दा हैं :)

Servesh Dubey ने कहा…

प्रिय अन्जुशा
तेरी कविता पढी, वास्तव मे मै काफ़ी दिनो से मै ब्लोग की दुनिया से दूर रहा शायद समय ने मन की भावनाओ पर कब्जा कर लिया था इसी लिये मै तेरे मोती से शब्दो को पढने से काफ़ी दिनों तक वंचित रहा
तेरी कविता पढ के मै वापिस अपने कालेज के दिन याद करने को विवश हो गया

कुछ पंक्तिया तेरे लिये…

तेरे जीवन के उपवन मे
केवल फल सुख का ही हो।
है मेरी बस यही प्रार्थना
सफ़लता तेरे सन्मुख हो॥

सारे स्वप्न बने हकीकत
स्वर्णिम सा सब सुख मिले।
सदा रहो मुस्काते तुम
सदा रहो तुम खिले खिले।।

ऐसा तेज आये तुझमे कि,
नतमस्तक हो जाये सूरज ।
धैर्य तुम्हे मिल जाये इतना
जैसे हो धरती का धीरज ॥

चाहे विषम परिस्थिति आये
चाहे हो कांटो का पथ ।
ना चेहरे पे छाये उदासी
ना रुके प्रगति का तेरा रथ ॥

सस्नेह

mai... ratnakar ने कहा…

anshuja ji, gazab-gazab-gazab ka asar hai aapkee feelings ka apanee friends ke liye. aap ko naheen pata, lagatar kitanee bar, apane bichhade doston ko yaad kar aapkee panktiyaan lagatar pad raha hoon main. nostalgia kee had naheen koi........
thanks & regards

Aditya Tikku ने कहा…

saral va utam kavita

abhi ने कहा…

मेरे दोस्त अक्सर तीन के ग्रुप में रहें हैं चाहे स्कूल में हो, कॉलेज में या फिर अभी ऑफिस में ;)

लेकिन ये आपकी पोस्ट ने मुझे कुछ खास तीन मित्र की याद अभी दिलाई...चलता हूँ उन्हें फोन करने :)

अर्यमन चेतस पाण्डेय ने कहा…

जो ज्यादा तापायेंगे यादों के शोले
तो समझो कि जल्दी ही बरसात होगी।

कभी दर्द मे भी हमें याद करके
जो तुम हंस पड़ोगे तो क्या बात होगी।

umda..bahut khoob!!

:)