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गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

परिचय

ब्रह्माण्ड घूम कर आई मैं ,
इक नन्ही बूंद गिरी भू पर।
मेरा परिचय इतना सा है ,
मैं शबनम उत्पल के ऊपर।

7 टिप्‍पणियां:

के सी ने कहा…

anshu , followers ke liye bhi thoda space de

के सी ने कहा…

अंशु अगर आप अपने ब्लॉग में एक नया गैजेट "समर्थक" जोड़ दें तो इसको पढ़ने वाले इसके समर्थक बन कर आपकी नवीन प्रविष्टियों की सूचना तुंरत पा सकेंगे। मैं जब भी अपने ब्लॉग में लोग इन करूँगा मुझे भी आपकी नवीनतम प्रविष्ठी की जानकारी मिल सकेगी। धन्यवाद किशोर

NO-MORE ने कहा…

hi...well u write very welll...
use of apt words with nice rhyming...
but dnt u think u are much driven by pain....well thts ur peronal view...neways...evn m a writer...do visit my blog shayarsblog.blogspot.com
i hope it will suit ur taste...
let me knw ur comments...
njoy life:)

Servesh Dubey ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Servesh Dubey ने कहा…

तेरे मानस मे नित नूतन लहरों का नर्तन होता, तेरी कविता पढने पर कुछ ऐसा ही स्पन्दन होता है। इन लहरो का कुछ इस तरह करो विस्तार, भिगो सको सारा संसार ------भिगो सको सारा संसार ------


सस्नेहिल शुभकामनाये
सर्वेश

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

सुन्दर मतला
बहुत बेहतरीन रचना
चाहिए थी रोशनी ज़्यादा ही ज़माने को
कुछ नहीं मिला तो मेरा दिल जला दिया .
आभार

Unknown ने कहा…

i dont hv sound knowledge poetry..4 me words that attracts u,jisko padhte hi bole"wah"dt is called "poetry" 4 me..kya baat kya baat kya BAAT