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सोमवार, 1 जून 2009


चाहिए थी रोशनी ज़्यादा ही ज़माने को
कुछ नहीं मिला तो मेरा दिल जला दिया .

ऐ ग़म तेरी वफ़ा का मैं शुक्रिया करुँ
इस जिंदगी की लाश को फिर से जिला दिया.

कोई नहीं है अपना ऐ ग़म सिवाय तेरे
निस्पंद सी थी आँखें तुने रुला दिया.

मंहगा थ वो ज़हर बहुत पीना था जो मुझे
पर दोस्तों ने मोल भाव कर दिला दिया.

दिल चाहता था मेरा दो पल सुकून के
खुदा ने ख्वाहिशों पे भी पहरा लगा दिया.

कितना बड़ा समंदर मेरे नसीब मे
अँखियों के किनारों ने मुझको बता दिया.

मैं कब्र मे थी जिस दिन आया खुदा ज़मीं पे
मैंने बदल के करवट मुह को फिर लिया.

20 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

मैं कब्र मे थी जिस दिन आया खुदा ज़मीं पे
मैंने बदल के करवट मुह को फिर लिया
wah wah wah anshuja kya baat kahi hai...lajabab hamesha ki tarah..

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

चाहिए थी रोशनी ज़्यादा ही ज़माने को
कुछ नहीं मिला तो मेरा दिल जला दिया.

मँहगा था वो ज़हर बहुत पीना था जो मुझे
पर दोस्तों ने मोल-भाव कर दिला दिया.

ये दो शेर बता रहे हैं कि
शुरूआत अच्छी हो गई है!

स्वागत!
बधाई!
शुभकामनाएँ!

श्यामल सुमन ने कहा…

चाहिए थी रोशनी ज़्यादा ही ज़माने को
कुछ नहीं मिला तो मेरा दिल जला दिया

बहुत खूब। कहते हैं कि-

सारे चराग हमने लहू से जलाये हैं।
जुगनू पकड़ के घर में उजाला नहीं किया।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

बेनामी ने कहा…

मैं कब्र मे थी जिस दिन आया खुदा ज़मीं पे
मैंने बदल के करवट, मुह को फिरा लिया

ठीकठाक शुरूआत....और ये लाईनें तो बेहतर

Unknown ने कहा…

काश ये तल्ख़ ज़िंदगी भी ऐसे ही करवट बदल कर मुंह फिरा लिया करती।

सुस्वागतम्...

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

बहुत ही वेहतरीन शेर है उम्मीद है आगे भी एसे ही लिखती रहे गी मेरी शुभ कामनाये आप के साथ है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

स्वागत!
बधाई!
शुभकामनाएँ!

plz remove word verification

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मंहगा थ वो ज़हर बहुत पीना था जो मुझे
पर दोस्तों ने मोल भाव कर दिला दिया.

दिल चाहता था मेरा दो पल सुकून के
खुदा ने ख्वाहिशों पे भी पहरा लगा दिया.

वाह.......बहूत ही लाजवाब शेर कहे हैं आपने.........जिंदगी के रंगों को समेत कर लिखे शेर...........लिखते रहें

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

khub likha balike. narayan narayan

इस्लामिक वेबदुनिया ने कहा…

हिंदी में इस्लामिक वेब

vijay kumar sappatti ने कहा…

namaskar mitr,

aapki kavitayen padhi , sab ki sab behatreen hai .. aapki kavitao me jo bhaav hai ,wo bahut hi gahre hai ..

aapko badhai .. zindagi ke different shades ke upar likhi gayi ye kavita acchi lagi ..

dhanywad.

meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

aapka

Vijay

cartoonist anurag ने कहा…

behtareen rachana hai.

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

अच्छा लिखा है उत्क्रष्ट रचना......

अक्षय-मन

gutkha ने कहा…

wow

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत खूब बेहतरीन ग़ज़ल

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत सुन्दर
बहुत बहुत आभार

Unknown ने कहा…

amazing charvi.. really amazing

Niks ने कहा…

Nice work anshuja.keep it up.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

nirupam ने कहा…

behad sashakt bhav hain... badhaai.